आचार्य चाणक्य के सुविचार

निम्न बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती हैं 

1.  व्यक्ति कितने साल जिएगा
 2. वह किस प्रकार का काम करेगा
3. उसके पास कितनी संपत्ति होगी 
4. उसकी मृत्यु कब होगी



पुत्र मित्र सगे संबंधियों साधुओ को देखकर दूर भागते हैं
लेकिन जो लोग साधुओं का अनुसरण करते हैं उनमें भक्ति जागृत होती है l
और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है l

जैसे मछली दृष्टि से, कछुआ ध्यान देकर और पंछी स्पर्श करके अपने बच्चों को पालते हैं l 
वैसे ही सज्जन पुरुषों की संगत मनुष्यों का पालन पोषण करती है 


जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय आत्मसाक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है l


विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है ! वह विदेश में माता के समान रक्षक व हितकारी होती है l इसलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है /


सैकड़ों गुड रहित पुत्रों से अच्छा एक पुत्र है क्योंकि एक चंद्रमा ही रात्रि के अंधकार को भगाता है ! असंख्य तारे यह काम नहीं करते है l 

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